premanand ji maharaj Biography in hindi : Premanand Ji Maharaj का जन्मदिन,आयु, पारिवारिक जीवन , बचपन,आध्यात्मिक जीवन,वृंदावन मे आगमन,किडनी का रोग ? 

Chandan Kumar
12 Min Read
premanand ji maharaj biography in hindi
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premanand ji maharaj Biography in hindi:भारत को पहले से ही देवताओं और संतों का देश माना जाता था। और तभी से यह देश बाहरी देशों द्वारा घेर लिया गया है। जिन्होंने हमारे मूल धर्म को समाप्त करने की कोशिश की है लेकिन हर बार भगवान ने किसी संत, महात्मा या महापुरुष को इस धरती पर भेजा है, ताकि लोगों को ब्रह्मज्ञान का प्रकाश दे सकें।

नमस्कार, मैं  Chandan हूँ दोस्तों, आज के लेख में मैं आपको एक ऐसे महान व्यक्ति के बारे में बताऊँगा। जिनके नाम आपने टीवी या सोशल मीडिया पर अक्सर सुना होगा। हम बात कर रहे हैं प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) का जीवन परिचय (Premanand Ji Maharaj Biography), जो अपने सत्संग और भजन मार्ग यूट्यूब चैनल के माध्यम से लोगों को प्रेम, भक्ति, शांति, सेवा और ईमानदारी के अनमोल वचन देते हैं।

 

Premanand Ji Maharaj का जन्मदिन

प्रेमानंद जी महाराज या प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज का जन्म 1972 में भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. कानपुर शहर के पास सरसोल ब्लॉक के अखरी गाँव में हुआ था। अनिरुद्ध कुमार पांडे प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम है। ब्राह्मण परिवार में जन्मे होने के कारण, उनके परिवार का वातावरण धार्मिक और सात्विक भक्ति विचारों से भरपूर था। इसलिए बचपन से ही उन्होंने आध्यात्मिक भक्ति की ओर काफी अधिक रुझान देखा।

वे एक धार्मिक परिवार में बड़े हुए और श्रीकृष्ण और राधा की भक्ति की ओर आकर्षित हुए। इसलिए बहुत छोटी उम्र में ही उन्होंने अपने परिवार को छोड़कर श्रीकृष्ण राधा के साथ ब्रह्मचारी जीवन जीने का निर्णय लिया। और 13 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने यानी के घर छोड़ दिया। अब उनकी उम्र लगभग सत्तर दो वर्ष है। आज प्रेमानंद जी महाराज ने सनातन धर्म की भक्ति को देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी फैलाया। हम आपके साथ प्रेमानंद जी महाराज का जीवन परिचय (Premanand Ji Maharaj Biography) में कई बाते साझा करेंगे।

Premanand Ji Maharaj का बचपन

प्रेमानंद जी महाराज की जीवनी बताती है कि वह एक ब्राह्मण परिवार से थे और बचपन से ही आध्यात्मिकता की ओर झुका रहे थे। दूसरा, उनके माता पिता श्री कृष्ण और श्री राधा रानी के बहुत प्रिय थे। और सुबह शाम उनकी पूजा करते थे। उस उम्र में अधिकांश बच्चे खेलते हैं। उस उम्र में प्रेमानंद जी महाराज श्री कृष्ण और श्री राधा रानी की पूजा करते रहते थे।

छोटी उम्र से ही प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने अपने घर के आध्यात्मिक वातावरण को देखकर ईश्वर के प्रति भक्ति भावना विकसित कर ली थी। वह बचपन में हर सुबह उठकर हनुमान चालीसा पढ़ता था। प्रेमानंद जी महाराज के एक बड़े भाई ने भी संस्कृत का अध्ययन किया था। वह हर सुबह जल्दी उठकर घर में श्रीमद्भागवत का पाठ करता था। प्रेमानंद जी महाराज के बचपन में ही भगवान के प्रति साधना भक्ति की भावना जग गई थी, क्योंकि उनके परिवार में ऐसे आध्यात्मिक विचार थे।

कहते हैं कि बच्चे का बचपन का मन मिट्टी की तरह होता है। उस पर बोया गया सब कुछ उगता है। प्रेमानंद जी महाराज के साथ भी ऐसा हुआ था। स्कूल में पढ़ते हुए भी उनमें धार्मिक भावना विकसित हुई। फिर वे इस मोह-माया की दुनिया से विदा हुए। और 13 वर्ष की यानी की उम्र में ही उन्होंने घर-गृहस्थी छोड़कर सन्यासी धर्म अपनाने का फैसला कर लिया, हालांकि वह अभी बालक था।

 

Premanand Ji Maharaj का आध्यात्मिक जीवन

13 वर्ष की उम्र में प्रेमानंद जी महाराज ने अपना घर बार छोड़ दिया। इसलिए वह कुछ समय तक नंदेश्वर धाम में रहे। बाद में महाराज वहाँ से वाराणसी की ओर चले गए। उस समय उन्होंने वहाँ एक तपस्वी साधु का जीवन बिताया। दिन में तीन बार वह गंगा में स्नान करता था। तुलसी घाट के निकट एक पीपल के पेड़ के निचे बैठकर देवता की पूजा करते थे।

प्रेमानन्द जी महाराज वहां एक भिक्षु के रूप में रहते थे, जिससे वे अपनी आजीविका चलाते थे। वे खाते थे अगर कोई आता था। नहीं, वे भूखे ही सो जाते थे जब वे गंगा जल पीते थे। ये उनके नियम पूरी तरह से निश्चित थे। वह उन दिनों में हर दिन गंगा में तीन बार स्नान करते थे, चाहे बहुत ठंड हो या भारी बारिश हो। उस समय प्रेमानंद जी महाराज के पास कपड़े भी नहीं थे। तो उन्होंने अपने शरीर पर एक बोरी डालकर उसे कपड़े की तरह पहना करते थे।

प्रेमानन्द जी महाराज ब्राह्मण धर्म का ज्ञान प्राप्त करने के लिए घूमते रहे। दीक्षा लेते हुए उनका नाम आनंदस्वरूप ब्रह्मचारी अनिरुद्ध कुमार पांडे रखा गया। श्री गौरांगी शरण उस समय प्रेमानंद महाराज के गुरु थे। यह कहा जाता है कि प्रेमानंद जी महाराज ने लगभग दस वर्षों तक अपने गुरु की सेवा की है।

 

Premanand Ji Maharaj का  वृंदावन मे आगमन

हर दिन सुबह शाम प्रेमानंद जी महाराज गंगा में स्नान करके तुलसी घाट पर पिपल वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान शंकर का ध्यान करते थे। तब वे अचानक भगवान श्रीकृष्ण का वृन्दावन देखने लगे। तब महाराज ने उस पर ध्यान नहीं दिया और साधना में व्यस्त हो गया। अगले दिन, प्रेमानंद जी महाराज से मिलने के लिए एक अनजान गुरु आया और बताया कि हनुमान विश्वविद्यालय काशी में एक धार्मिक कार्यक्रम की तैयारी हो रही है। आचार्य राम शर्मा स्वयं प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्होंने इस कार्यक्रम में दिन में चैतन्य लीला और रात में रासलीला का आयोजन किया है।

कार्यक्रम में आने के लिए आचार्य राम शर्मा ने सभी साधु संतों से अनुरोध किया है। महाराज जी, क्या आप उस कार्यक्रम में भाग लेंगे? लेकिन प्रेमानंद जी महाराज ने वहाँ जाने से मना कर दिया। लेकिन अज्ञात महात्मा ने बार-बार कहा कि वे वहां जाने को तैयार हैं। वह धार्मिक कार्यक्रम लगभग एक महीने तक चला और प्रेमानंद जी महारज को समय का पता भी नहीं चला। कार्यक्रम समाप्त होते ही प्रेमानंद जी महाराज को चिंता होने लगी। फिर वह इस धार्मिक कार्यक्रम का आयोजक आचार्य राम शर्मा से मिले।

तब आचार्य राम शर्मा ने प्रेमानंद जी महाराज से कहा कि अगर आपको हर दिन ये रासलीला देखनी है तो आपको वृन्दावन जाना होगा। फिर महाराज ने वृन्दावन जाना चाहा। एक दिन, प्रेमानंद महाराज ने हमेशा की तरह पीपल के पेड़ के निचे विश्राम किया। तभी एक सात्विक युगल किशोर आया और प्रेमानंद जी महाराज को भोजन देने लगा। लेकिन महाराज ने भोजन करने से इनकार कर दिया। उस युवा ने कहा कि इतने सारे लोगों को भोजन देओ, मुझे क्यों नहीं दे रहे हो? तब युवा ने कहा, महाराज, मेरे मन में अंदर से आपको भोजन देने की इच्छा हुई है।

प्रेमानंद जी महाराज ने प्रसाद लिया। फिर उसने महाराज से भोजन करने को कहा। प्रेमानन्द जी महाराज तैयार होकर कुटिया में चले गए। वहाँ, महाराज ने युगल किशोर से कहा कि वह वृन्दावन जाना चाहता है। मैं जाने के लिए पैसे नहीं है। महाराज ने अपनी इच्छा उसे बताई। तभी उस युगल ने प्रेमानंद जी महाराज से कहा कि आप वृन्दावन जाने को तैयार रहें। मैं तुम्हें ट्रैन का टिकट दे दूंगा। बाद में महाराज प्रेमानंद ट्रैन में बैठकर वृन्दावन आए।

वृन्दावन पहुंचने के बाद प्रेमानंद जी महाराज श्री कृष्ण और श्री राधा रानी की सेवा करने लगे। तभी उन्होंने अपना तपस्वी जीवन छोड़कर श्री राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण की सेवा करना शुरू किया। प्रेमानंद जी कुछ समय बाद महाराज राधावल्लभ समाज में शामिल हो गए और वहीं संत बाबा बनकर लोगों को भक्ति का ज्ञान देने लगे।

Premanand Ji Maharaj  किडनी का रोग

35 वर्ष की उम्र में उनके पेट में अचानक दर्द होने लगा। तब प्रेमानंद महाराज अपने पेट के दर्द का उपचार कराने के लिए रामकृष्ण मिशन अस्पताल गए। डॉक्टरों की जांच से पता चला कि प्रेमानंद जी महाराज की दोनों किडनियां बिल्कुल खराब हो गई हैं। डॉक्टरों ने प्रेमानंद महाराज को बताया कि अब आपकी किडनियों का कोई उपचार भी नहीं है। और आपके जीवन में सिर्फ चार से पांच वर्ष बचे हैं। हां, आप चाहें तो अपनी किडनी बदल सकते हैं। नहीं तो आपकी दोनों किडनिया कुछ समय बाद काम नहीं करेंगे। और आप मर जाएंगे।

Premanand Ji Maharaj ji  की आयु

हमने अक्सर देखा है कि बहुत से लोग इसे पूछते हैं। प्रेमानंद जी महाराज की उम्र कितनी होगी? क्योंकि उनके चेहरे की तेज बिल्कुल अलग है। आपको बता दें कि उनकी जन्मतिथि की कोई जानकारी नहीं है। है, लेकिन सोशल मीडिया के अनुसार अभी लगभग 54 वर्ष की है, लेकिन प्रेमानंद जी महाराज ने एक बार अपने सत्संग में कहा था कि मेरी उम्र अब 56 से अधिक हो चुकी है।

 

FAQ

1.Premanand Ji Maharaj Date of birth

Ans.30 मार्च 1969

 

2.प्रेमानंद महाराज का जीवन परिचय

ans.भारतीय संत

 

3.प्रेमानंद जी महाराज के गुरु कौन है

ans.प्रेमानंद गोविंद शरण

 

4.प्रेमानंद महाराज के कितने भाई हैं?

ans.प्रेमानंद महाराज के एक छोटे भाई हैं.

 

5.प्रेमानंद महाराज क्या खाते हैं?

ans. रोटी और सब्जी इसके अलावा, वे फल और प्राकृतिक खाद्य पदार्थों

 

6.प्रेमानंद जी महाराज की प्रॉपर्टी कितनी है?

ans.उनके पास कोई निजी संपत्ति नहीं है

 

7.प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन की उम्र कितनी थी?

ans.13 वर्ष की आयु में छोड़ दिया

 

8.प्रेमानंद महाराज का आश्रम कहाँ है?

ans.वृंदावन के श्री राधाकेली कुंज के पास

 

9.प्रेमानंद महाराज जी कितने पढ़े-लिखे हैं?

ans.9वीं कक्षा 

 

10.प्रेमानंद जी महाराज की किडनी कब खराब हुई थी?

ans.18 साल से खराब हैं

 

11.प्रेमानंद जी महाराज को कौन सी बीमारी थी

ans.ऑटोसोमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (ADPKD) नामक एक गंभीर किडनी की बीमारी है

 

12.प्रेमानंद जी महाराज के पास कौन सी कारें हैं?

ans.लैंड रोवर डिफेंडर और पोर्श कैयेन से लेकर टोयोटा फॉर्च्यूनर लीजेन्डर, ऑडी क्यू3 और स्कोडा कोडियाक तक 

 

13.प्रेमानंद महाराज के बचपन का नाम क्या था?

ans.अनिरुद्ध कुमा

 

14.प्रेमानंद महाराज कितने घंटे सोते हैं?

ans.3 घंटे सोते हैं

 

15.प्रेमानंद महाराज के आश्रम का खर्च कैसे चलता है?

ans.भक्तों के दिए दान से

 

Alert-यह जानकारी इंटरनेट प्लेटफॉर्म से ली गई है। हम इस समाचार की 100% सत्यता की गारंटी नहीं देते हैं, इसलिए कृपया सोच-समझकर और सावधानी से आगे की प्रक्रिया करें। किसी भी महत्वपूर्ण वित्तीय निर्णय लेने से पहले  अन्य आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि अवश्य करें।

 

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